होली गीत

होगे फ़ागुन हा सर पे सवार

जोहार ले जोहार ले जोहार।

नरवा खलखल हांसत हे,

नवा नवा फ़ूटत हे धार।(जोहार ले – – –  –

बरदी के सुत गे गोसैया,

सन्सो में हवय खेत खार।  जोहार ले – – – – 

दिल ह चना के जवान हे,

अउ राहेर लगत हे कचनार। जोहार ले- – – – 

धान के कोनो पुछैया  नही,

अउ खड़े हे चना के खरीदार। जोहार ले – – – 

अमली के साड़ी हा सरकत  हे,

अउ लहकत हे आमा के डार। जोहार ले – – –

कोड़ही मन हा फ़ाग सुनावत।

गोल्लर मन फ़ांदव दीवार । जोहार ले- – – 

फ़गुआ  पी के सूते  हे,

अउ होगे मनटोरा फ़रार। जोहार ले – – – 

बिछिया नथनी करधन पहिने,

बुधियारिन घलोक हे तियार। जोहार ले – – – 

पपची देहरौरी चिखा दे बहीनी,

देवारी के गुझिया ला टार। जोहार ले – – – 

रंग गुलाल लगावन कइसे

अपन भाटों के मुंह ला डार। जोहार ले – – – 

होली के  खरही  जलाये बर ,

हिरदय के लकड़ी ला बार। जोहार ले – – – 

हिरदे के गांठ ला खोलव गा,

इही ये होली के सार। जोहार ले – – – 



डॉ.संजय दानी

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2 Thoughts to “होली गीत”

  1. दानी जी ….
    कविता हवे मंजेदार…..

    जोहर ले जोहर ले जोहर …….

  2. ज्ञानेन्द्र कुमार सिन्हा

    अकेल्ला मे बइठ के, कविता गुनगुनाएव…. मजा आ गिस००००

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